What is the difference between a search with a warrant and a search without a warrant?

वारंट के साथ तलाशी और बिना वारंट के तलाशी में क्या अंतर होता है?

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ तथा 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ. ' CrPC ' दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम है.

जब कोई अपराध किया जाता है, तो सदैव दो प्रक्रियाएं होती हैं, जिन्हें पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है. CrPC में इन दोनों प्रकार की प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. दंड प्रक्रिया संहिता के द्वारा ही अपराधी को दंड दिया जाता है.

वारंट का सीधा मतलब होता है अधिकार पत्र जबकि सर्च वारंट का मतलब होता है “खोजने का अधिकार” अर्थात तलाशी वारंट.

तलाशी वारंट किसे कहते हैं

तलाशी वारंट जारी करने का अधिकार किसी मजिस्ट्रेट या जज या किसी अन्य योग्य अथॉरिटी को होता है. इस वारंट में पुलिस अधिकारियों को यह अधिकार दिया जाता है कि वे किसी स्थान जैसे वाहन, ऑफिस, मकान, गोदाम या किसी अन्य जगह के साथ-साथ किसी व्यक्ति विशेष की तलाशी भी ले सकते हैं और सम्बंधित लोगों से पूछताछ कर सकते हैं.

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में 2 तरह से तलाशी लेने के अधिकार दिए गये हैं,

1. तलाशी वारंट के साथ तलाशी

2. बिना वारंट के तलाशी

तलाशी वारंट के साथ तलाशी:

दण्ड प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 93,94,95 और 97 के अंतर्गत तलाशी वारंट जारी किया जाता है. इस प्रकार के तलाशी वारंट के अंतर्गत पुलिस या उसके अधिकारी आपके घर, दुकान या मकान पर आएंगे और आपको मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया वारंट दिखायेंगे कि किस आधार पर आपके घर की तलाशी ली जा रही है.

सर्च वारंट जारी करने के उद्येश्य क्या होते हैं;

1. किसी दस्तावेज का वस्तु को प्राप्त करने या उपलब्ध करवाने के लिए

2. ऐसे किसी घर की तलाशी लेना जहाँ पर कोई चुरायी गयी संपत्ति रखी होने या किसी जाली दस्तावेज के रखे होने की संभावना हो.

3. किसी ऐसे पब्लिश डॉक्यूमेंट को प्राप्त करने के लिए जिसका सम्बन्ध किसी नकली पब्लिकेशन से हो या जो कि देश के विरुद्ध किसी साजिश से सम्बंधित हो

4. ऐसे व्यक्तियों को तलाशने के लिए जिनको कि गैर-कानूनी रूप से बंधक बनाकर कर रखा गया हो.

सेक्शन 93 के अंतर्गत जारी किया जाने वाला वारंट निम्न आधारों पर जारी किया जा सकता है;

a. जब न्यायालय को यह लगता है कि किसी व्यक्ति को सेक्शन 91 के तहत किसी डॉक्यूमेंट को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया है और वह व्यक्ति ऐसा नहीं करता है तो न्यायालय उसके खिलाफ तलाशी वारंट जारी कर सकता है.

b. जिस मामले में कोर्ट के यह लगता है कि किसी इन्क्वारी या ट्रायल का उद्येश्य, सर्च के आधार पर सोल्व किया जा सकता है.

सेक्शन 94 के अंतर्गत तलाशी वारंट:

इस धारा के अंतर्गत जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी स्थान की तलाशी के लिए वारंट जारी सकते हैं यदि उनको लगता है कि;

a. ऐसी जगह पर चुरायी गयी संपत्ति पाई जा सकती है.

b. इस जगह पर ऐसे चीज छुपाई गयी है जिसका सम्बन्ध किसी कोर्ट में लंबित मामले से है

सेक्शन 95 के अंतर्गत तलाशी वारंट:

इसके अंतर्गत कुछ प्रकाशनों को जब्त करने के बारे में बताया गया है;

राज्य सरकार, मजिस्ट्रेट से यह अनुरोध कर सकती है कि वह निम्नलिखित मामलों से सम्बंधित सामग्री, डॉक्यूमेंट या पब्लिकेशन को जारी करने के लिए किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ वारंट जारी करे जिसका सम्बन्ध;

a. सेक्शन 124-A अर्थात देश देशद्रोह से हो. ऐसा कोई दस्तावेज जो देश के खिलाफ साजिश से जुड़ा हुआ हो.

b. सेक्शन 153 A, 153-B से हो अर्थात सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने से जुड़ा हुआ हो.

c. सेक्शन 293 या सेक्शन 295-A से हो, अर्थात ऐसी बातें या सामग्री जो कि अश्लील श्रेणी में आतीं हैं और उनका पब्लिकेशन करना, लोगों में बाँटना गैर कानूनी है.

नोट: यहाँ पर सेक्शन 96 के बारे में भी बताना जरूरी है. यह सेक्शन कहता है कि यदि किसी व्यक्ति को लगता है कि उसकी किताबों को, समाचार पत्रों, मैगज़ीन को बिना किसी ठोस सबूत या आधारहीन रूप से जब्त कर लिया गया है तो वह सीधे उच्च न्यायालय में इस कदम के खिलाफ अपील कर सकता है.

सेक्शन 97 के अंतर्गत वारंट:

इस प्रकार का वारंट उस स्थिति में जारी किया जाता है जब कोई व्यक्ति या पुलिस किसी अन्य व्यक्ति को गैर-कानूनी तरीके से बंदी बनाता है तो मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि बंदी बनाये गए व्यक्ति को प्राप्त करने के लिए कुछ संदिग्ध जगहों की तलाशी के लिए वांरट जारी किया जाये.

इस प्रकार का वारंट, जिला जज, सब डिविजनल मेजिस्ट्र  के द्वारा होता है |

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