Caste wise and assembly wise population in Bihar

बिहार राज्य की जनगणना जाति के आधार पर कराने की मांग, विधानसभा में दूसरी बार प्रस्ताव पास
 

    नीतीश लंबे समय से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं
    राजद, कांग्रेस समेत अन्य सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर नीतीश के साथ हैं

पटना. बिहार विधानसभा में गुरुवार को जाति आधारित जनगणना कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें केंद्र सरकार से मांग की गई कि 2021 की जनगणना जाति आधारित हो। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से जाति आधारित जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। राजद, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर नीतीश के साथ हैं। इससे पहले मंगलवार को सदन में नीतीश ने कहा था कि देश में नई जनगणना होने वाली है। इसमें जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए।

क्यों हो रही जाति आधारित जनगणना की मांग?

    केंद्र सरकार हर 10 साल पर जनगणना कराती है। जनगणना के मौजूदा फॉर्मेट में यह तो पता चल जाता है कि देश में किस धर्म के कितने लोग हैं और अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या क्या है। लेकिन यह पता नहीं चलता कि सामान्य, पिछड़ा और अति पिछड़ी जाति के लोगों की संख्या कितनी है। जाति आधारित जनगणना हुई तो यह पता चलेगा कि इनकी संख्या कितनी है। नीतीश का कहना है कि इसके आधार पर सरकार को विकास की दौड़ में पीछे रह गए तबके के लिए अलग से योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
    जाति आधारित जनगणना का संबंध आरक्षण से भी है। नीतीश कुमार की मांग रही है कि देश में आबादी के अनुरूप आरक्षण का प्रावधान हो। वर्तमान में पिछड़ी जातियों को 27% आरक्षण मिलता है। यह पता चलने पर कि पिछड़ी जातियों में किस जाति के लोगों की संख्या कितनी है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कैसी है। उनके लिए खास योजना बनाई जा सकती है।

The population of the Bihar is approximately 104,099,452. The population density is 1,102 per sq. Km. There are various ethnic group reside here, and mainly three ethnolinguistics groups are Bhojpuri, Maithili and Magahis                                                                                                                                                     

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